आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ - Aao Bachchon Tumhein Dikhaaein (Kavi Pradeep, Jagriti)

Movie/Album: जागृति (1954)
Music By: हेमंत कुमार
Lyrics By: कवि प्रदीप
Performed By: कवि प्रदीप

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ
झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो
ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम...

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की
इस मिट्टी से तिलक करो...

ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण-कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से तिलक करो...

देखो मुल्क मराठों का ये, यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पर्वत पे आग लगी थी, हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
शेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से तिलक करो...

जलियाँवाला बाग ये देखो, यहीं चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ बंदूकें दन-दन, एक तरफ थी टोलियाँ
मरने वाले बोल रहे थे इंक़लाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाज़ी अपनी जान की
इस मिट्टी से तिलक करो...

ये देखो बंगाल, यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरने वाला है
ढाला है इसको बिजली ने, भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से तिलक करो...

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