आप क्यों रोए - Aap Kyon Roye (Lata Mangeshkar, Wo Kaun Thi)

Movie/Album: वो कौन थी (1964)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: राजा मेहदी अली खान
Performed By: लता मंगेशकर

जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए
तबाही तो हमारे दिल पे आई
आप क्यों रोए

हमारा दर्द-ए-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं
ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं
ग़मों की आग हमने खुद लगाई
आप क्यों रोए...

बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे
न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे
कयामत आपके अश्कों ने ढाई
आप क्यों रोए...

न ये आँसू रुके तो देखिये, फिर हम भी रो देंगे
हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डूबो देंगे
फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई
आप क्यों रोए...

1 comment :

  1. #ईशू_प्रिय_गाने
    ( 9761453660 )
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि यदि ये 'गाने' न होते तो दुनिया कितनी 'गुमसुम' सी होती. अंदर-ही-अंदर घुटती,सिसकती...सुबुकती.
    फिर कौन होता जो हमारे दिल की सुधि लेता ? हमारे भोगे की अभिव्यक्ति हैं ये गाने...
    शब्द,स्वर...संगीत की यह दुनिया मुझे बेहद मोहती है. गीत के बहाने इसे 'साधने' वाले साधकों का आभार !
    आइये इस गीत को चुपके से 'निहारते' हैं...
    Movie/Album: वो कौन थी (1964)
    Music By: मदन मोहन
    Lyrics By: राजा मेहदी अली खान
    Performed By: लता मंगेशकर
    ...तो दोस्तों ! मैंने फ़िल्म नहीं देखी...अब तो 'इच्छा' भी मर चुकी है लेकिन गाना कहता है...
    जो हमने दास्तां अपनी सुनाई...
    आप क्यों रोए ?
    तबाही तो हमारे दिल पे आई...
    आप क्यों रोए ?
    रहीम दास जी कहते थे कि -
    रहिमन निज मन की, बिथा, मन ही राखो गोय। .
    सुनि अठिलैह लोग सब, बाटि न लैहैं कोय।।
    लेकिन 'गाना' कहता है और सिद्ध करता है कि यह दुनिया इतनी 'निर्मोही' नहीं है...यहाँ आपके दुःख पर हँसी उड़ाने वाले ही नहीं आपके ग़म को गहराई से 'महसूस' करने वाले लोग भी हैं. रहीम दास जी की तुलना में 'गाने' यह 'दुनिया' जो भले ही 'छोटी' सी होगी लेकिन ज़्यादा 'राहत' देने वाली है...
    गाना आगे बढ़ता है...
    'लड़की' कहती है...
    हमारा दर्द-ए-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं ?
    ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं ?
    ...अरे 'भाई' -
    ग़मों की आग हमने खुद लगाई...
    ...आप से क्या मतलब ?
    आप क्यों रोए...?
    फिर गाने में ही लड़की 'ऐलान' सा करती है...
    बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे
    न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे
    इसे कहते हैं...परदुःखकातरता !
    लड़की जो 'साधना' है...लड़के 'मनोज' पर '21' बैठती है...कहती है कि -
    कयामत आपके अश्कों ने ढाई !
    आप क्यों रोए...
    दोस्तों !
    गीत की ये अंतिम 'बंदिश' संवेदना का शीर्ष है. कुर्बान जाऊं ऐसी 'दिल' की 'लगी' पर...
    साधना जी...मनोज जी की आँखों में आँसू देखकर विह्वल हो उठती हैं...
    न ये आँसू रुके तो देखिये, फिर हम भी रो देंगे
    ( गीतकार का यहां कमाल देखिये कि 'साधना' जी ऊपर इसी गाने में स्वीकार करती हैं कि ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं ? फिर भी कहती हैं...'फिर हम भी रो देंगे' ! और इतना ही नहीं -
    "हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डूबो देंगे"
    फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई
    आप क्यों रोए...
    पर्दे पर ही सही 'अश्कों' का पूरे गाने भर 'चुपचाप' बहते रहना...आपको भी रुला देगा दोस्तों !
    मुझे तो 'आंसू' सिद्ध हैं...
    ख़ैर !
    शेष फिर कभी...
    आमीन !
    #प्रदीप_कुमार_पालीवाल_ईशू
    c/o #पालीवाल_बुक_सेण्टर
    Gandhi Market, Etawah
    (Uttar Pradesh) 206001
    Mob : 9761453660



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